Tuesday 24 May 2016

A Tribute to दाग़ देहलवी

वो   भी   क्या    का   कमाल   का   इंसा   रहा  होगा,
जिसने  कुछ  ना  करने  को  भी  कमाल  लिख  दिया,
आशिकों के नाम ही अपना कलम-ए-जहाँ  लिख दिया,
जिसने हिज्र की शाम को भी ईद का सलाम लिख  दिया,
जो निभाते नहीं थे मोहब्बत उन्हें भी प्यार का पैगाम लिख दिया,

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