वो भी क्या का कमाल का इंसा रहा होगा,
जिसने कुछ ना करने को भी कमाल लिख दिया,
आशिकों के नाम ही अपना कलम-ए-जहाँ लिख दिया,
जिसने हिज्र की शाम को भी ईद का सलाम लिख दिया,
जो निभाते नहीं थे मोहब्बत उन्हें भी प्यार का पैगाम लिख दिया,
जिसने कुछ ना करने को भी कमाल लिख दिया,
आशिकों के नाम ही अपना कलम-ए-जहाँ लिख दिया,
जिसने हिज्र की शाम को भी ईद का सलाम लिख दिया,
जो निभाते नहीं थे मोहब्बत उन्हें भी प्यार का पैगाम लिख दिया,
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